यूनिट 3
मल्थुनियि का जिसंख्या नसद्धान्त
सबसे ज्यादा जािे वाला नसद्धांत मलथुनियि का नसद्धांत हैं। थॉमस रॉबटट िे सि् 1798 में "जिसंख्या का नसद्धांत" िीर्टक पर निबंध नलखा था और सि् 1803 में उिके अगले संस्करण में उिके निष्कर्ों में संिोधि ककया।
इंगलैंड की बढ़ती हुई जिसंख्या, जो की पथभ्रष्ट कािूि द्वारा प्रोत्सानहत थी, िे उिको बहुत गहराई से व्यनथत कर कदया।
उन्हे डर था कक इंगलैंड एक आपदा कक तरफ अग्रसर था और उन्होंिे लोगो को इस निकटतम आपदा की चेताविी देिा अपिा कतटव्य समझा।"प्रजिि जािवर की ज्यादा देखभाल और प्रजिि पुरुर्ों की देखभाल में लापरवाही" इस अजीब नवर्मता की उन्होंिे निंदा की। उिका नसद्धांत बहुत ही सरल हैं। उिके अिुसार: प्रकृनत में मािव भोजि एक धीमे अंकगनणनतय क्रम में बढ़ता है और मािव स्वयं तेजी से एक ज्यानमतीय अिुक्रम में बढ़ता हैं, जब तक वो स्वयं ि चाहे उसे कोई रोक िहीं सकता। जिसंख्या वृनद्ध अनिवायट रूप से जीवियापि के साधि तक सीनमत हैं। जब तक जीवियापि के साधि बढ़ते हैं और जब तक एक िनििाली और नवनिष्ठ जांच द्वारा इसे रोका िा जाए, जिसंख्या बेतरतीबी से बढ़ती हैं। मल्थुस द्वारा प्रनतपाकदत नसद्धांत को कुछ इस तरह पेि ककया जा सकता हैं:
(1.) भोजि मिुष्य की जीवि में आवश्यक हैं और इसनलए यह जिसंख्या पर एक गहरा प्रभाव डालता हैं। दूसरे िब्दों में कहें तो जिसंख्या अनिवायट रूप से जीवियापि के साधि (अथाटत् भोजि) तक सीनमत हैं।
(2.) जिसंख्या वृनद्ध की दर भोजि के उत्पादि से ज्यादा हैं। जहां जिसंख्या ज्यानमतीय अिुक्रम में बढती हैं, वहीं भोजि उत्पादि अंकगनणनतय अिुक्रम में बढ़ता हैं।
(3.) जब जीवियापि के साधि बढ़ते हैं, जिसंख्या हमेिा बढ़ती हैं, जब तक िनििाली परीक्षणों द्वारा उसे रोका िा जाए।
(4.) दो प्रकार के निरोध द्वारा जिसंख्या को जीवियापि के साधि के साथ सीनमत ककया जा सकता हैं। ये हैं:निवारक और सकारात्मक निवारक।
थॉमस रोबटट मलथूस िे अपिी पुस्तक("एसे ओि द नप्रंनसपल ऑफ पॉपुलेिि",जो की 1798 में प्रकानित हुई थी) में जिसंख्या पर अपिे नवचार प्रनतपाकदत ककए, जैसा कक यह भनवष्य में समाज में सुधार को प्रभानवत करता हैं।मल्थूस िे अपिे नपता और गॉडनवि द्वारा प्रचनलत
आिावाद का नवद्रोह ककया।उिके नपता और गॉडनवि िे कहा थे कक एक सवटश्रेष्ठ देि तभी बि सकता हैं,जब मािवीय संयम को हटा कदया जाए।
मल्थुस को इस बात से आपनि थी कक जिसंख्या वृनद्ध से निपुणता िस्ट हो जाएगी। मल्थूस को अपिे निरिावदी बताटव के कारण कई बार आलोचिा का सामिा करिा पडा और अपिी अपिी थीनसस के समथटि के नलए आंकडों के नलए उन्हें यूरोप महाद्वीप की यात्रा भी करिी पडी। सि 1803 में अपिे निबंध के दूसरे संस्करण में उन्होंिे अपिे िोध को िानमल ककया।
मल्थूस का नसद्धांत भोजि आपूर्तट में वृनद्ध और जिसंख्या वृनद्ध के बीच में सम्बन्ध को समझाता है। उिका नसद्धांत कहता है, कक जिसंख्या वृनद्ध भोजि आपूर्तट से तेजी से होती है और अगर नियंनत्रत िहीं ककया तो दुगटनत या मुसीबत का रूप ले लेती हैं
मलथुस का नसद्धांत कुछ इस प्रकार हैं:
1. मािव की मुक प्रवृनत में एक प्राकृनतक नलंग की वजह से बहुत तेजी से िारीररक वृनद्ध होती हैं,नजसके फलस्वरूप जिसंख्या वृनद्ध ज्यानमतीय अिुक्रम में होती है अगर रोका िी जाए तो 25 वर्ट में स्वयं ही दुगुिा हो जाती हैं।इस प्रकार 1 से िुरुआत करिे पर अगले 25 वर्ों में यह 1,2,4,8,16,32,64,128 और 256(200 वर्ों के बाद) हो जाएगी।
2. दूसरी तरफ भोजि की आपूर्तट एक धीमे अंकगनणनतय अिुक्रम में बढ़ती हैं।इस कायटकाल में भूनम की आपूर्तट नस्थर रहती हैं।इस प्रकार भोजि की आपूर्तट समाि कायटकाल में 1,2,3,4,5,6,7,8,9(200 वर्ों के बाद ) होगी।
3. जैसा कक जिसंख्या वृनद्ध ज्यानमतीय अिुक्रम में होती है और भोजि आपूर्तट अंकगनणनतय अिुक्रम में,इस प्रकार जिसंख्या भोजि आपूर्तट को पीछे छोड देती हैं।इसके कारण एक असंतुलि बि जाता है और नजसके कारण अनधक जिसंख्या ही जाती हैं।यह नचत्र 17.1 में दिाटया गया है।
अंकगनणनतय अिुक्रम में भोजि आपूर्तट को क्षेनिज अक्ष पर तथा ज्यानमतीय अिुक्रम में जिसंख्या को उधरवाधटर अक्ष पर मापा जाता है।वक्र एम,मलथूस का जिसंख्या वक्र हैं,जो कक जिसंख्या वृनद्ध और भोजि आपूर्तट में वृनद्ध के संबंध को दिाट रहा है।यह तेजी से बढ़ता है।
4. जिसंख्या और भोजि आपूर्तट के मध्य असंतुलि के फलस्वरूप बढ़ी जिसंख्या को नियंनत्रत करिे के नलए, मल्थु्स िे निवारक निरोध और पॉनजरटव निरोध की सलाह दी हैं। निवारक निरोध पुरुर्ों द्वारा लागू ककया जाता हैं।ये दूरदिी, देर से िादी करिे वाले,अनववानहत और ज्यादा संयमी हैं।
अगर लोग निवारक निरोध द्वारा जिसंख्या वृनद्ध को रोकिे में असफल होते हैं, पॉनजरटव निरोध को उपयोग में लाया जा सकता हैं।इसमें दोर्,दुगटनत,अकाल,युद्ध,बीमारी,महामारी,बढ़ और अन्य प्राकृनतक आपदाएं िानमल हैं,जो जिसंख्या को कम कर देते हैं और भोजि आपूर्तट के साथ संतुलि बिाते हैं।
माल्थुस के अिुसार निवारक निरोध हमेिा संचानलत रहते हैं और पॉनजरटव निरोध के नलए अपररष्क्रीत रहते हैं। मलथुस अपिे देिवानसयों से निवारक निरोध को अपिािे के नलए प्राथटिा करते हैं,ताकक पॉनजरटव निरोध से उत्पाकदत महामारी अथवा भुखमरी से बचा जा सके।मलथुस के नसद्धांत की व्याख्या कुछ इस प्रकार हैं:
मलथुस के नसद्धांत की आलोचिा:
19 वी िताब्दी के दौराि और 20 वी ितब्दी के आरंभ में मलथुस का नसद्धांत चचाट में रहा और उिकी आलोचिा भी हुई। उिकी आलोचिाएं कुछ इस प्रकार हैं:
(1) नसद्धांत का ग़लत गनणतीय रूप:
मलथुस के नसद्धांत का गनणतीय रूप (जो यह कहता हैं कक "भोजि आपूर्तट अंकगनणनतय अिुक्रम में तथा जिसंख्या ज्यानमतीय अिुक्रम में 25 वर्ों।में बढ़ती हैं") नसद्ध िहीं हुआ,बनल्क भोजि आपूर्तट ज्यानमतीय अिुक्रम में ज्यादा बढ़ी हैं,जबकक जिसंख्या वृनद्ध ज्यानमतीय अिुक्रम में बढ़ी ही िहीं,नजसके अिुसार जिसंख्या 25 वर्ों में दोगुिी होिी थी।लेककि यह आलोचिा उस नबंदु से अलग हैं क्योंकक मलथुस िे अपिे निबंध के पहले संस्करण में गनणतीय रूप का उपयोग नसद्धांतो को स्पष्ट करिे के नलए ककया और दूसरे संस्करण में उसे हटा कदया।
(2.) िए क्षेत्रों में नवकास के पूवाटिुमाि में असफल:
मल्थूस की दृनष्ट काफी संकीणट थी और वह इंग्लैंड की स्थािीय पररनस्थनतयों से भी प्रभानवत था।वह िे क्षेत्रों(जैसे ऑस्रेनलया,संयुि राज्य अमेररका और अजेंटीिा)में नवकास के पूवाटिुमाि में असफल रहा।इं जगहों पर ज्यादा खेती के कारण उत्पादि भी ज्यादा हुआ,नजसके फलस्वरूप युरोप महाद्वीप में इंग्लैंड जैसे देिों को प्रचुर मात्रा में सस्ता भोजि नमल गया।यह यातायात के साधिों में तेजी से सुधार के कारण सम्भव हो पाया। मल्थूस िे इस कारक को लगभग अिदेखा ककया।ककसी भी देि को भुखमरी से डरिे की जरूरत िहीं है,अगर वह इं कदिों बढ़ती जिसंख्या के नलए पयाटप्त उत्पादि ि कर सकें।
(3) एक कायटकाल के नलए एक नस्थर अथटिास्त्री नियम लागू ककया:
मल्थूस के अिुसार भोजि आपूर्तट ककसी भी समय एक अंकगनणनतय अिुक्रम में बढ़ती हैं और एक नस्थर अथटिास्त्री नियम पर आधाररत होती है,अथाटत हरासमाि प्रनतफल का नियम।मल्थूस नवज्ञाि के क्षेत्र में बढ़ते हुए ज्ञाि और कृनर् के आनवष्कारों का पूवाटिुमाि िहीं लगा पाया।इसके फलस्वरूप भोजि आपूर्तट में वृनद्ध अंकगनणनतय अिुक्रम से ज्यादा हुई। मल्थूस उन्नत देिों में ही िहीं,बनल्क नवकासिील देि जैसे भारत में भी हररत क्रांनत के कारण गलत सानबत हुआ।
(4) जिसंख्या में श्रमिनि के पहलू को िजरंदाज ककया:
मल्थूस के नवचारो की मुख्य कमी यह थी, कक उसिे जिसंख्या वृनद्ध में श्रमिनि के पहलू की िजरअंदाज ककया।वह एक निरािावादी था और जिसंख्या वृनद्ध से काफी डरा हुआ था।वह भूल गया था ,कक कैिि के अिुसार"एक नििु यह मुंह और एक पर के साथ ही जन्म िहीं लेता बनल्क उसके दो हाथ भी होते हैं"।इसका तात्पयट यह है कक जिसंख्या वृनद्ध के साथ श्रमिनि िहीं बढ़ती है,जो कक कृनर् ही िहीं बनल्क औद्योनगक उत्पादि को भी बढ़ा सकती हैं और इस प्रकार ये ककसी देि को धि और आय के न्यायसंगत नवतरण से समृद्ध बिाता हैं।जैसा कक सेलीगम के द्वारा सही कहा गया था,"जिसंख्या की समस्या केवल मात्र आकर की ही िहीं बनल्क कुिल उत्पादि और समाि नवतरण की भी है।इस प्रकार जिसंख्या वृनद्ध िायद जरूरी हैं।
(5) जिसंख्या का संबंध भोजि आपूर्तट से िहीं बनल्क संपूणट आय से हैं:
मल्थूस का नसद्धांत जिसंख्या और भोजि आपूर्तट के बीच कमजोर संबंध पर आकर रुक जाता है।असल में,एक सही संबंध जिसंख्या और देि की संपूणट आय में हैं, यही जिसंख्या की अिुकूलता नसद्धांत का आधार है।तकट यह है कक अगर कोई देि भोनतक रूप से समृद्ध है और अगर वह अपिी जिसंख्या के नलए पयाटप्त भोजि उत्पाकदत िहीं करता,कफर भी वह अपिे उत्पादों और पूंजी के बदले खाद्य सामग्री का आयात कर सकता है और अपिे देिवानसयों को भोजि उपलब्ध करवा सकता है।
ग्रेट निटि एक उत्कृष्ठ उदाहरण है,जो लगभग अपिी सभी भोजि की आवश्यकताएं हॉलैंड,डेिमाकट,बेनल्जयम और अजेंटीिा से आयात करता है,क्योंकक वह अपिा ध्याि खाद्य उत्पादों के बजाय,आय के उत्पादि पर केनन्द्रत करता हैं।इस प्रकार मल्थूस के नसद्धांत का आधार ही गलत सानबत कर कदया गया।
(6) मृत्यु दर में कमी की वजह से जिसंख्या का बढ़िा:
मल्थूस का नसद्धांत एक तरफा है।यह कहता हैं कक जन्मदर में वृनद्ध के फलस्वरुप जिसंख्या में वृनद्ध होती है,जबकक मृत्यु दर में कमी की वजह से दुनिया में जिसंख्या बढ़ी है।मल्थूस नचककत्सा नवज्ञाि में अिोखी उन्ननत का पूवाटिुमाि िहीं लगा सका,नजसिे घातक बीमाररयों को नियंनत्रत कर नलया और मािवीय जीवि को बढ़ा कदया।यह नविेर् रूप से भारत जैसे अनवकनसत देिों में हुआ,जहां मल्थूस के नसद्धांत के संचालि की बात कही जाती है।
(7) अिुभनवक साक्ष्य इस नसद्धांत को गलत सानबत करते है:
आिुभनवओ द्वारा यह सानबत ककया गया है कक जिसंख्या वृनद्ध प्रनत व्यनि आय के स्तर का कायट है।जब प्रनत व्यनि आय तेजी से बढ़ती है,तो यह प्रजिि दर को कम।कर देती है और जिसंख्या वृनद्ध की दर नगर जाती है। डी मोंट की "सोिल कैनपलररती थीनसस" िे यह सानबत ककया है, कक प्रनत व्यनि आय में वृनद्ध के साथ माता - नपता की आय की पूरक के नलए अनधक बच्चे पैदा करिे की इच्छा में नगरावट आती है।जब लोग उच्च स्तरीय जीवि के आदी हो जाते है,तो बडे पररवार को पालिा मुनश्कल हो जाता है।जिसंख्या नस्थर हों जाती है,क्योंकक लोग अपिे जीवि स्तर को कम िहीं करिा चाहते।ऐसा वास्तव में फ्ांस,जापाि और अन्य पनिमी देिों में हुआ हैं।
(8) निवारक निरोध िैनतक प्रनतबंध से संबंनधत िहीं:
मल्थूस मूलतः एक धार्मटक पुरुर् था,नजसिे जिसंख्या नियंत्रण के नलए िैनतक संयम पर जोर कदया।लेककि वह यह कल्पिा िहीं के सका की मिुष्य जन्म नियंत्रण के नलए गभटनिरोधक और अन्य पररवार नियोजि उपकरणों का आनवष्कार के लेगा।ऐसा िायद इसीनलए हुआ क्योंकक वह यौि इच्छा और बच्चा पैदा करिे की इच्छा में कोई अंतर िहीं बता पाया।लोगो को यौि इच्छा होती है,लेककि वो अनधक बच्चे पैदा िी करिा चाहते है।इस प्रकार केवल िैनतक संयम जिसंख्या वृनद्ध को नियंनत्रत िहीं कर सकता।
(9) पॉनजरटव निरोधक ज्यादा जिसंख्या की वजह से िहीं:
मल्थूस के निरािावाद और धार्मटक निक्षा िे उसे इस बात पर नवश्वास कदलाया,की ज्यादा जिसंख्या पृथ्वी पर बोझ है।जो कक ईश्वर द्वारा अपिे आप ही दुःख,युद्ध, अकाल,रोग , महामारीऔर बाढ़ आदी के रूप में कम के कदया गया है।लेककि ये सभी प्राकृनतक आपदाएं है,जो अनधक आबादी वाले देिों के नलए अजीब िहीं है।ये उि देिों में भी आईं ही,जहां जिसंख्या में नगरावट या नस्थरता है,जैसे:फ्ांस और जापाि।
(10) मल्थूस एक झूठा पैगंबर:
मल्थूस का नसद्धांत उि देिों के नलए लागू िहीं ,नजिके नलए यह प्रस्तानवत ककया गया था। पनिमी यूरोपीय देिों में मल्थूस का दलदली और निरािावाद पर काबू रहा।उसकी भनवष्यवाणी,"अगर यह देि जिसंख्या वृनद्ध निवारक निरोध से नियंनत्रत िी कर पाए तो इन्हे महामारी का सामिा करिा पडेगा"।जन्म दर में नगरावट,खाद्य आपूर्तट की पयाटप्तता,कृनर् में वृनद्ध और औद्योनगक उत्पादि के कारण गलत सानबत हुई।इस प्रकार मल्थूस एक झूठा पैगंबर सानबत हुआ।
इसकी प्रयोज्यता:
इि कमजोररयों के बावजूद मल्थूस के नसद्धांत में बहुत सच्चाई है।
मल्थूस का नसद्धांत िायद पनिमी यूरोप और इंग्लैंड पर लागू िी हो सकता,लेककि इसके प्रमुख उपकरण उि देिों के लोगों का नहस्सा बि गए है।अगर ये देि अनधक जिसंख्या और दुःख की समस्याओं का सामिा िहीं करते है,तो यह सब मल्थूस के निरािावाद और दलदल के कारण है।
वास्तव में,युरोप के लोग मल्थूस के कारण समझदार बि गए,नजसिे उन्हें अनधक जिसंख्या की बुराइयों की चेताविी दी और वे इससे बचाव के उपाय खोजिे लगे।यह एक तथ्य है, कक लोग निवारक प्रनतरोध का उपयोग ,देर से िादी, नवनभन्न गभट निरोधक और जन्म नियंत्रण के उपायों का उपयोग एक व्यापक स्तर पर करते है,जो कक मल्थूस के नियम की महत्त्वता को दिाटता है।
यहां तक कक मािटल और नपगो जैसे प्रनसद्ध अथटिास्त्री और डार्वटि जैसे प्रनसद्ध समाजिास्त्री भी इस नसद्धांत से प्रभानवत होकर,उन्होंिे इसे अपिे नसद्धांतो में िानमल ककया और ककंस िुरुआत में
मल्थूस से ज्यादा जिसंख्या के डर से घबरा गए,बाद में उन्होंिे"सम इकोिोनमक कंसीक्वेसस ऑफ कदनक्लनिंग पॉपुलेिि" पर निबंध नलखा।क्या यह मल्युनसयािवाद का डर िहीं है,नजसिे फ्ांस में गटती जिसंख्या की समस्या पैदा के दी?
िायद मल्थूस का नसद्धांत अपिे मूल स्थाि पर लागू िी हो सकता है।लेककि इसका प्रभाव िह्माण्ड के दो-नतहाई नहस्से पर फैला हुआ है।जापाि को छोडकर संपूणट एनिया,अफ्ीका और दनक्षणा अमेररका इसके दायरे में आते है।भारत उि देिों में से एक है,नजसिे पररवार नियोजि राज्य स्तर पर जिसंख्या नियंत्रण के नलए अपिाया।भारत में पॉनजरटव निरोध जैसे:बाढ़,युद्ध,सूखा इत्याकद का संचालि होता है।
जन्म दर और मृत्यु दर अनधक है।जिसंख्या की वृनद्ध लगभग 2 प्रनतित प्रनत वर्ट है,जिसंख्या िीनत का वास्तनवक उद्देश्य भुखमरी से बचिा िहीं,गरीबी को हटािा है,ताकक त्वररत रूप से उत्पादि प्रनत व्यनि के नहसाब से हो सके।इस प्रकार मल्थूस का नसद्धांत भारत जैसे अनवकनसत देिों के नलए पूरी तरह से लागू है।
वाल्कर सही था,जब उसिे कहा था, कक मल्थूस का नसद्धांत सभी समुदायों के नलए नबिा ककसी रंग और स्थाि के नवचार के नबिा लागू है।मल्थुनसयिवाद अब अपिे चरम पर है,सभी नववादों के बीच असंतुष्ट,अभेद्य,जो इसके चारों और व्याप्त है।