UNIT 4
भारत का पड़ोसी राज्य के साथ संबंध
4.1.पाकिस्तान
यदि अतीत का इतिहास खंगाला जाए, तो हम पाएंगे कि भारत और पाकिस्तान के बीच की पृष्टभूमि भावनात्मक लगाव एवं अप्रत्यक्ष घटनाओं का गवाह हैं| निकटतम पड़ोसी होने के बावजूद पाकिस्तान अपनी भारत-विरोधी एवं विधटनकारी नीतियों के कारण भारत से लगातार दूर होता गया। विदेशी मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयरपर्सन : शशि थरूर) ने 11 अगस्त, 2017 को ‘भारत-पाक संबंधों’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं :
सीमा प्रबंधन और सुरक्षा : भारत और पाकिस्तान के बीच 3,323 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है। यह देखते हुए कि सीमा के आस-पास एक तनावपूर्ण स्थिति रहती है, कमिटी ने सुझाव दिया कि सीमा सुरक्षा को मजबूती देने और उसे आधुनिक बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। कमिटी ने सीमा के आस-पास सड़कों की खराब स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उसने सुझाव दिया कि समयबद्ध तरीके से व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली को तैयार किया जाए। इसके अतिरिक्त भारतीय तट रक्षक और दूसरी एजेंसियों के बीच उच्च स्तरीय समन्वय स्थापित करके तटीय सुरक्षा और चौकसी को मजबूत किया जाना चाहिए। इन एजेंसियों में भारतीय नौसेना, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, कस्टम और बंदरगाह आते हैं।
आतंकवाद : कमिटी ने सुझाव दिया कि 26/11 मुंबई हमले की जांच में तेजी लाने के लिए सरकार को पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने के लिए सैन्य और असैन्य, दोनों प्रकार के नीतिगत विकल्पों को स्पष्ट किया जाना चाहिए। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठानों की संपूर्ण सुरक्षा की समीक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
जम्मू और कश्मीर : कमिटी ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर का एक हिस्सा 1947 से पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। इसके अतिरिक्त उसने टिप्पणी की कि कश्मीरी युवाओं में अलगाव की भावना बढ़ रही है, जिसका कारण कट्टरपंथ, और रोजगार के अवसरों का अभाव है। कमिटी ने कहा कि इस संबंध में सरकार के प्रयासों के अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक विकास जैसे उपाय करने चाहिए और युवाओं को विशेष रूप से पाकिस्तान समर्थित कट्टरपंथ से प्रभावित होने से रोका जाना चाहिए।
परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम : भारत और पाकिस्तान ने परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले के निषेध से जुड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कमिटी ने टिप्पणी की कि हालांकि भारत और पाकिस्तान, दोनों के पास परमाणु हथियार हैं लेकिन उनके परमाणु सिद्धांत परस्पर विरोधी हैं। भारत ‘परमाणु हथियारों का पहला प्रयोग नहीं करेगा’ की नीति का अनुपालन करता है, लेकिन पाकिस्तान नहीं। इसके अतिरिक्त मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों में चीन और पाकिस्तान के बीच समन्वय बढ़ रहा है। इस संदर्भ में कमिटी ने सुझाव दिया है कि सरकार को अपनी परमाणु क्षमता में वृद्धि करनी चाहिए और विरोध करने की अपनी क्षमता को बढ़ाना चाहिए।
सर्जिकल स्ट्राइक : कमिटी ने टिप्पणी की कि सितंबर 2016 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारतीय सेना द्वारा सीमित आतंकवाद विरोधी अभियान (सर्जिकल स्ट्राइक) चलाया गया था। एलओसी के आस-पास आतंकवादी लॉन्च पैड्स और पाकिस्तान से आतंकवादी हमलों की आशंका की खूफिया जानकारी के आधार पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। कमिटी ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक एक संयमित प्रतिक्रिया का प्रदर्शन था जोकि भारत की ‘सामरिक संयम’ की नीति का ही संकेत देती थी। कमिटी ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को प्रकाश में लाने के लिए राजनयिक पहल के साथ-साथ इस नीति को जारी रखा जाना चाहिए।
आर्थिक भागीदारी : कमिटी ने भारत और पाकिस्तान के बीच आर्थिक संबंधों में तीन प्रवृत्तियों का उल्लेख किया। इनमें शामिल हैं :
- दोनों देशों के बीच व्यापार की व्यापक क्षमता है|
- पिछले वर्षों के दौरान भारत ने पाकिस्तान से व्यापार अधिशेष बरकरार रखा है|
- साप्टा (सार्क अधिमान्य व्यापार समझौता) संधि द्विपक्षीय व्यापार की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
WTO समझौते के अंतर्गत भारत ने पाकिस्तान सहित सभी डब्ल्यूटीओ सदस्यों को सर्वाधिक तरजीह वाले देश (मोस्ट फेवर्ड नेशन-MFN) का दर्जा दिया है। MFN सिद्धांत विभिन्न देशों के समान उत्पादों के साथ भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। हालांकि पाकिस्तान ने भारत को MFN का दर्जा नहीं दिया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान को इस बात के लिए राजी किया जाना चाहिए कि वह भारत को MFN का दर्जा दे। इसके अतिरिक्त कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि सरकार को पाकिस्तान को राजी करना चाहिए :
1) जमीनी रास्तों पर लगे व्यापार प्रतिबंधों को हटाना,
2) पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान में भारतीय निर्यात की अनुमति देना।
कमिटी ने गौर किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए 2012 में अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) बनाए गए थे। कमिटी ने आईसीपी के संबंध में अनेक संरचनात्मक समस्याओं का उल्लेख किया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:-
(i) स्टोरेज की सीमित जगह,
(ii) मैकेनाइज्ड लोडिंग/अपलोडिंग की कमी, और
(iii) अपर्याप्त कार्गो होल्डिंग। कमिटी ने सुझाव दिया कि तकनीकी हैंडलिंग के जरिए आईसीपी की कार्यकुशलता में सुधार किया जाए।
सार्क शिखर सम्मेलन : कमिटी ने कहा कि प्रमुख क्षेत्रीय विकास परियोजनाओं में बाधाएं उत्पन्न करके पाकिस्तान ने सार्क को निष्क्रिय बना दिया है। उसने टिप्पणी की कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और नेपाल 2016 के प्रस्तावित सार्क शिखर सम्मेलन से पीछे हट गए थे। उसने सुझाव दिया कि सरकार को सार्क क्षेत्रीय ‘आतंकवाद दमन’ संधि को लागू करने में रचनात्मक भागीदारी करनी चाहिए।
भारत और बांग्लादेश के मध्य द्विपक्षीय सहयोग की शुरुआत वर्ष 1971 में हो गई थी, जब भारत ने बांग्लादेश राष्ट्र का समर्थन करते हुए अपनी शांति सेना भेजी थी। इसी कारण दोनों के मध्य एक भावनात्मक संबंध भी बना हुआ है। किसी भी देश के लिये यह आवश्यक होता है कि उसके पड़ोसी देशों के साथ उसके रिश्ते अच्छे और मज़बूत रहें, खासकर एशियाई क्षेत्र में जहाँ आतंकवाद के बड़ा खतरा है। बीते वर्ष 2017 की बैठक में भारत और बांग्लादेश के संबंधों को एक नया आयाम दिया गया और कुल 11 समझौतों तथा 24 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए थे।
सुरक्षा और सीमा प्रबंधन
भारत और बांग्लादेश की सीमा लगभग 4096.7 किमी| लंबी है। उल्लेखनीय है बांग्लादेश के साथ भारत की सीमा उसके किसी भी अन्य पड़ोसी देश से सबसे अधिक है। भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता वर्ष 2015 में लागू हुआ था और 31 जुलाई, 2015 को भूभागीय मानचित्र पर हस्ताक्षर किये गए थे। विदित है कि दोनों देशों के मध्य अब तक सुरक्षा सहयोग से संबंधित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इन्ही में से एक है समन्वित सीमा प्रबंधन योजना, जिस पर वर्ष 2011 में हस्ताक्षर किये गए थे एवं इसके तहत सीमा पार अवैध गतिविधियों और अपराधों की जाँच करने तथा भारत-बांग्लादेश सीमा पर शांति बनाए रखने हेतु दोनों सीमा सुरक्षा बलों द्वारा समन्वित प्रयास किये गए।
नदी के पानी का बँटवारा
भारत और बांग्लादेश आपस में 54 नदियाँ साझा करते हैं। ध्यातव्य है कि इस विषय पर एक द्विपक्षीय संयुक्त नदी आयोग (JRC) भी है जो आम नदी प्रणालियों से लाभ को अधिकतम करने के लिये दोनों देशों के बीच संपर्क बनाए रखने हेतु जून 1972 से काम कर रहा है और यह JRC समय-समय पर नदी संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिये बैठकें भी करता है।
द्विपक्षीय व्यापार और निवेश
भारत और बांग्लादेश के बीच 1972 में पहला व्यापार समझौता हुआ था। भारत-बांग्लादेश व्यापार समझौते को अंतिम बार जून 2015 में स्वतः नवीनीकरण के प्रावधान के साथ 5 वर्षों की अवधि के लिये नवीनीकृत किया गया था। भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले एक दशक में लगातार बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत और बांग्लादेश के मध्य 9.5 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। साथ ही भारत ने वर्ष 2011 से दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के तहत तंबाकू और शराब को छोड़कर सभी टैरिफ लाइनों पर बांग्लादेश को शुल्क मुक्त कोटा प्रदान किया हुआ है। सीमावर्ती समुदायों के लाभ के लिये त्रिपुरा और मेघालय में दो-दो बॉर्डर हाट की भी स्थापना की गई है।
बांग्लादेश को भारत का आर्थिक सहयोग
भारत मे बांग्लादेश को वर्ष 2010 से अब तक 8 बिलियन डॉलर की 3 लाइन ऑफ क्रेडिट दी हैं। जनवरी 2010 में भारत ने सार्वजनिक परिवहन, सड़कों, रेलवे, पुलों और अंतर्देशीय जलमार्ग संबंधी परियोजनाओं हेतु लगभग 1 बिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि इनमें से अधिकांश परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और शेष पूरी होने की कगार पर हैं। इसके अलावा लगभग 2 बिलियन डॉलर की दूसरी LOC वर्ष 2015 में और लगभग 4.5 मिलियन डॉलर की वर्ष 2017 में भी दी गई थी।
बिजली और ऊर्जा क्षेत्र
वर्ष 2017 में बांग्लादेश भारत से लगभग 660 मेगावाट बिजली का आयात कर रहा था। अप्रैल 2017 में भारतीय सार्वजनिक/निजी कंपनियों और बांग्लादेश के बीच 3600 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन/आपूर्ति/वित्तपोषण के समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए थे। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसे कई भारतीय सार्वजानिक क्षेत्र की इकाइयाँ बांग्लादेश के तेल और गैस क्षेत्र में अपने बांग्लादेशी समकक्षों के साथ काम कर रही हैं।
दोनों देश के मध्य कनेक्टिविटी
भारत-बांग्लादेश परिवहन के सभी साधनों के माध्यम से कनेक्टिविटी का एक अच्छा उदाहरण है। वर्तमान समय में दोनों देशों के मध्य व्यापार और आवागमन हेतु लगभग सभी साधनों जैसे- पानी के जहाज़, रेल, बस और हवाई जहाज़ आदि का प्रयोग किया जा रहा है।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान
इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र (IGCC), बांग्लादेश में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र है। IGCC का उद्घाटन वर्ष 2010 में किया गया था और यह नियमित रूप से बांग्लादेश में सांस्कृतिक गतिविधियों वाले कार्यक्रमों का आयोजन करता है। इसी के साथ IGCC योग, हिंदी, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, मणिपुरी नृत्य, कथक और चित्रकारी में नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है, विदित है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बांग्लादेशी विद्यार्थियों के मध्य काफी प्रचलित है।
कई क्षेत्रों में चिंताएँ बरकरार
कई प्रयासों के बावजूद भारत और बांग्लादेश के बीच नदी जल साझाकरण समझौते असफल रहे हैं, उनमें से मुख्य तीस्ता समझौता है जो वर्ष 2011 से लगातार चल रहा है, लेकिन केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकारों के बीच तनाव के कारण अब तक आगे नहीं बढ़ पाया है।
भारत की आर्थिक नीति में बाज़ार-विरोधी रुझान गंभीर समस्या है। उदाहरण के लिये बांग्लादेश में गोमांस एक प्रधान भोजन है फिर भी भारत इसे निर्यात नहीं करता है जिसके कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध पशु तस्करी को बढ़ावा मिलता है।
बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल पहल के कार्यान्वयन में लगातार देरी।
भारत में मुसलमानों के प्रति घृणा और घृणा की घटनाएँ बांग्लादेश में सार्वजनिक धारणाओं को प्रभावित करती हैं।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत की अपनी चार दिवसीय (3-6 अक्तूबर, 2019) आधिकारिक यात्रा संपन्न की है। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने विश्व आर्थिक मंच के भारत आर्थिक शिखर सम्मेलन में बांग्लादेश का प्रतिनिधित्व किया और साथ ही सम्मेलन को भी संबोधित किया। सम्मेलन के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत और बांग्लादेश के मध्य गहन द्विपक्षीय संबंधों और बढ़ती परस्पर निर्भरता को दर्शाती है।
राष्ट्र प्रमुखों की बैठक और उसके मुख्य बिंदु:
बैठक के दौरान दोनों देशों के प्रमुखों ने संबंधों को मज़बूती प्रदान करने के लिये कुल 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किये और 3 परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया।
सात समझौतों में शामिल हैं:
- भारत और विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत से माल की आवाजाही के लिये बांग्लादेश में छत्रोग्राम और मोंगला बंदरगाहों का उपयोग।
- त्रिपुरा में पेयजल आपूर्ति के लिये बांग्लादेश की फेनी नदी के जल का उपयोग।
- बांग्लादेश के लिये लाइन ऑफ क्रेडिट के कार्यान्वयन के भारत की प्रतिबद्धता से संबंधित समझौता।
- बांग्लादेश में तटीय निगरानी रडार प्रणाली की स्थापना की जाएगी।
- हैदराबाद विश्वविद्यालय और ढाका विश्वविद्यालय के बीच समझौता ज्ञापन।
- युवा मामलों में सहयोग पर समझौता ज्ञापन।
- सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम का नवीकरण।
द्विपक्षीय विकास साझेदारी परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया गया:
- भारत के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में प्रयोग हेतु एलपीजी (LPG) का आयात।
- रामकृष्ण मिशन, ढाका में विवेकानंद भवन (छात्रों हेतु छात्रावास) का उद्घाटन।
- इंस्टीट्यूशन ऑफ डिप्लोमा इंजीनियर्स बांग्लादेश (IDEB) में बांग्लादेश-भारत व्यावसायिक कौशल विकास संस्थान (BIPSDI) का उद्घाटन।
बांग्लादेशी प्रतिनिधि ने असम में एनआरसी (NRC) के संबंध में चिंता ज़ाहिर की है।बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रधानमंत्री से सभी रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी के लिये म्याँमार सरकार के साथ अपने "अच्छे संबंधों" का उपयोग करने हेतु अनुरोध किया।
भारत और नेपाल आपसी सहयोग एवं मित्रता के अद्वितीय संबंध को साझा करते हैं| इस बात का सबूत हैं, दोनों देशों के बीच की सीमाओं का इनके नागरिक के खुला होना साथ ही दोनों देशों के लोगों की परस्पर प्रगाढ़ नातेदारी एवं सांस्कृतिक संबंधों से साफ़-साफ़ दिखाई देता है| 1950 की भारत-नेपाल शान्ति और मैत्री संधि के प्रावधानों के अंतर्गत नेपाली नागरिक भारतीय नागरिकों के समान सुविधाओं तथा अवसरों का लाभ उठा सकते हैं|
उच्च स्तरीय आदान-प्रदान
उच्च स्तरीय यात्राओं से भिन्न दोनों देश SAARC, BIMSTEC आदि संगठनों तथा द्विपक्षीय संस्थागत वार्ता तन्त्र जैसे कि भारत-नेपाल संयुक्त आयोग के माध्यम से सहयोग करते हैं|
मानवीय सहायता और आपदा राहत
भारत ने नेपाल में भूकंप पुनर्निमाण परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) टीम एवं बचाव-राहत सामग्री भेजी तथा 750 मिलियन अमरीकी डॉलर के नए लाइन ऑफ़ क्रेडिट समझौते पर हस्ताक्षर किये|
आर्थिक
वर्ष 1996 के बाद नेपाल से भारत को किये जाने वाले निर्यात में ग्यारह गुना वृद्धि हुई है तथा द्विपक्षीय व्यापार बढ़ कर सात गुना अधिक हो गया है| साथ ही नेपाल में लगभग 150 भारतीय उपक्रम विनिर्माण, सेवा (बैंकिंग, बीमा, शुष्क बंदरगाह, शिक्षा तथा टेलिकॉम), बिजली क्षेत्र तथा पर्यटन उद्योग में कार्यरत हैं|
जल संसाधन
लगभग 250 छोटी एवं बड़ी नदियाँ नेपाल से भारत में प्रवाहित होती हैं तथा गंगा नदी बेसिन के एक भाग का निर्माण करती हैं| ये नदियाँ सिंचाई और विद्युत् ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत बन सकती हैं| जल संसाधन और जल-विद्युत् में सहयोग से सम्बंधित एक त्रि-स्तरीय द्विपक्षीय तन्त्र 2008 से कार्य कर रहा है|
भारत की नेपाल को विकास संबंधी सहायता
भारत और नेपाल को पर्याप्त वित्तीय और तकनीकी विकास सहायता उपलब्ध कराता है, जैसे
- सीमा अवसरंचना के विकास में तराई क्षेत्र में सड़कों के उन्नयन के माध्यम से नेपाल को सहायता
- सीमा पार रेल सम्पर्कों का विकास
- चार एकीकृत चेक पोस्ट्स की स्थापना
- उपक्रम अवसरंचना विकास परियोजनाओं हेतु लाइन ऑफ़ क्रेडिट
रक्षा सहयोग
भारत ने उपकरणों, प्रशिक्षण एवं आपदा प्रबंधन क्षेत्र में सहयोग प्रदान कर नेपाली सेना (NA) के आधुनिकीकरण में मदद की है| इसके अतिरिक्त भारतीय सेना ने गोरखा सिपाहियों को बड़े पैमाने पर भर्ती की है तथा दोनों सेनाएँ एक-दूसरे के सेना प्रमुखों को जनरल की मानद रैंक प्रदान कर रही हैं|
बिजली
“इलेक्ट्रिक पॉवर ट्रेड, क्रॉस बॉर्डर ट्रांसमिशन इंटर-कनेक्शन एंड ग्रिड कनेक्टिविटी” के सम्बन्ध में एक समझौते पर 2014 में हस्ताक्षर किये गये थे| इस समझौते का उद्देश्य भारत और नेपाल के मध्य सीमा पार बिजली व्यापार को सुविधाजनक तथा अधिक सुदृढ़ बनाना था|
शिक्षा
भारत सरकार नेपाली नागरिकों को प्रत्येक वर्ष लगभग 3000 छात्रवृतियाँ/सीट उपलब्ध कराती है|
संस्कृति
भारत सरकार लोगों से लोगों के संपर्क को प्रोत्साहित करती है तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सम्मेलनों एवं सेमिनारों का आयोजन करती है| भारत और नेपाल काठमांडू-वाराणसी, लुम्बिनी-बोधगया तथा जनकपुर-अयोध्या के युग्म बनाने के लिए थ्री सिस्टर-सिटी समझौतों पर हस्ताक्षर भी कर चुके हैं|
नेपाली प्रधानमन्त्री की हालिया यात्रा का परिणाम और मूल्यांकन
- नेपाल के प्रधानमन्त्री दिसम्बर 2017 में नेपाल के संसदीय चुनावों के बाद भारत की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आये| यह यात्रा अत्यंत महत्त्वपूर्ण थी क्योंकि भारत-नेपाल सम्बन्ध 2015 से तनाव के दौरे से गुजर रहे थे|
- यात्रा के दौरान एक 12 बिन्दुओं वाला नियमित संयुक्त वक्तव्य तथा कृषि, काठमांडू तक रेल सम्पर्क तथा अंतर्देशीय जलमार्गों पर तीन विशेष वक्तव्य जारी किये गये| इनमें शामिल हैं –
- रक्सौल-काठमांडू रेलवे लाइन के निर्माण के संदर्भ में “व्यवहार्यता अध्ययन” हेतु समझौता|
- वस्तुओं और लोगों के नेपाल से अन्य देशों में परिवहन हेतु नेपाली स्टीमरों के परिचालन के लिए समझौता| इस समझौते द्वारा माल की लागत प्रभावी और कुशल आवाजाही के सक्षम होने तथा नेपाल के व्यवसाय और अर्थव्यवस्था की वृद्धि में अत्यधिक योगदान दिए जाने की संभावना|
- व्यापार और पारगमन (transit) समझौतों की रूपरेखा के अंतर्गत माल की आवाजाही हेतु अंतर्देशीय जलमार्गों का विकास तथा इसके माध्यम से नेपाल को समुद्र तक अतिरिक्त पहुँच उपलब्ध कराना|
- नेपाल में जैविक कृषि और मृदा स्वास्थ्य निगरानी पर एक पायलट परियोजना संचालित कराना|
- इसके अतिरिक्त संयुक्त वक्तव्यों में नेपाल के आन्तरिक मुद्दों को शामिल नहीं किया गया जैसे – नए संविधान का संशोधन अल्पसंख्यकों एवं मधेशियों का समावेशन आदि|
इस प्रकार यह महत्त्वपूर्ण यात्रा दो देशों के बीच व्याप्त अविश्वास को समाप्त करने में काफी हद तक सहायक सिद्ध हुआ|
चुनौतियाँ
- भारत का मानना था कि नए नेपाली संविधान ने तराई क्षेत्र के लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं किया| भारत ने नेपाल पर दबाव बनाने हेतु आपूर्तियों को बाधित करने के लिए मधेशियों द्वारा उत्पन्न किये गए अवरोधों को समर्थन प्रदान किया|
- नेपाल 1950 की शांति एवं मित्रता संधि में संशोधन चाहता है| यह संधि इसे भारत के परामर्श के बिना किसी तीसरे देश के साथ सुरक्षा सम्बन्ध स्थापित करने अथवा हथियार खरीदने से निषिद्ध करती है|
- नेपाल में चीन की परियोजनाओं के क्रियान्वयन की तुलना में, भारत द्वारा नेपाल में विभिन्न परियोजनाओं के क्रियानव्यन में अधिक विलम्ब के कारण भारत के प्रति नेपाल में अविश्वास का माहौल है|
- भारत का यह भी कहना है कि वह चीन द्वारा निर्मित बाँधों (हाल ही में चीन के थ्री गोर्जस कारपोरेशन को नेपाल में दूसरे बाँध के निर्माण का प्रोजेक्ट दिया गया) से बिजली नहीं खरीदेगा तथा उसके द्वारा बिजली की खरीद तभी की जाएगी जब परियोजनाओं में भारतीय कंपनियों को भी सम्मिलित किया जाएगा|
सहयोग के संभावित क्षेत्र
चीन नेपाल के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ा रहा है परन्तु भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार एवं व्यावसायिक भागीदार बना रहेगा| इसके अतिरिक्त नेपाल के चीन के साथ हस्तारक्षित पारगमन समझौते के बावजूद किसी तीसरे देश के साथ नेपाल के व्यापार हेतु भारत एकमात्र पारगमन देश है|
नेपाल को अवसंरचना विकास के लिए, प्रांतीय राजधानियों में अनिवार्य प्रशासनिक अवसंरचना के सृजन के लिए तथा संविधान के संघीय प्रावधानों के क्रियान्वयन के लिए व्यापक विकासात्मक सहायता की आवश्यकता है|
जलविद्युत सहयोग : नेपाल की 700 मेगावाट की स्थापित जलविद्युत् क्षमता 80,000 मेगावाट की संभावित क्षमता से काफी कम है| इसके अतिरिक्त गंगा का 60% जल नेपाल की नदियों से आता है और मानसून के महीनों में यह प्रवाह 80% तक हो जाता है| इसलिए उसके द्वारा सिंचाई और बिजली उत्पादन दोनों के लिए प्रभावी जल प्रबंधन को कम महत्त्व नहीं दिया जाना चाहिए|
भारत को अपूर्ण परियोजनाओं, शेष ICPs, पाँच रेलवे कनेक्शनों, तराई में पोस्टल रोड नेटवर्क तथा पेट्रोलियम पाइपलाइन पर प्रभावी रूप से आपूर्ति करने की आवश्यकता है| इससे कनेक्टिविटी में वृद्धि हो सकेगी और “समावेशी विकास और समृद्धि” यथार्थ में परिणत हो सकेंगे|
भारत-नेपाल मैत्री संधि
नेपाल में घरेलू लोकतान्त्रिक परिवर्तन के संदर्भ में इस संधि में संशोधन करने की माँग की गई है| नेपाल में विभिन्न पक्षों द्वारा निम्नलिखित शिकायतों को व्यक्त किया गया है :
यह संधि बीत चुके युग से सम्बंधित है
नेपाल की राजशाही ने भारत को अपने देश में लोकतांत्रिक आन्दोलन का समर्थन करने से रोकने के लिए भारत के साथ मित्रता की पेशकश की थी| किन्तु, वर्तमान में न तो राजशाही अस्तित्व में है और न ही चीन से कोई खतरा विद्यमान है|
समान संबंधों की आवश्यकता
नेपाल के कुछ वर्गों की शिकायत है कि भारत नेपाल के साथ समान व्यवहार नहीं कर रहा है| यह 2015 में सीमावर्ती क्षेत्रों की नाकाबंदी द्वारा स्पष्टत: व्यक्त होता है| इसके साथ ही यह समझा जाता है कि भारत मधेसी जैसे समूहों का समर्थन कर वहाँ की घरेलू राजनीति में भी हस्तक्षेप कर रहा है|
सम्प्रभुता का तर्क
अधिकांश लोगों द्वारा तर्क दिया गया है कि यह संधि नेपाल को अन्य देशों (विशेषतः चीन) के साथ स्वतंत्रतापूर्वक अपने सामरिक तथा आर्थिक हितों की पूर्ति करने से वंचित करती है|
जैसा की हम जानते है भारत और श्रीलंका के मध्य संबंध 2500 वर्षों से भी अधिक पुराने हैं। दोनों देशों के पास महत्त्वपूर्ण बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषायी विरासत मौजूद है। कुछ वर्षों में दोनों देशों ने अपने संबंधों को लगभग प्रत्येक स्तर पर बेहतर करने के प्रयास किये हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी देखी गई है और दोनों ही बुनियादी ढाँचे के विकास, शिक्षा, संस्कृति और रक्षा के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं। साथ ही विकास सहायता परियोजनाओं के कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण प्रगति ने दोनों देशों के बीच दोस्ती के बंधन को और मजबूत किया है।
श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के बीच लगभग तीन दशक तक चला लंबा सशस्त्र संघर्ष वर्ष 2009 में समाप्त हुआ जिसमें भारत ने आतंकवादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करने हेतु श्रीलंका सरकार के अधिकार का समर्थन किया था।
वाणिज्यिक संबंध
- लंबे समय से भारतीय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिये श्रीलंका एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है।
- SAARC में श्रीलंका भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक है। वहीं भारत भी वैश्विक स्तर पर श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- मार्च 2000 में लागू हुए भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार काफी तेज़ी से बढ़ा है।
- वर्ष 2015-2017 के दौरान श्रीलंका को किया गया भारत का निर्यात 5.3 बिलियन डॉलर का था, जबकि श्रीलंका से भारत का आयात लगभग 743 मिलियन डॉलर का था।
- साथ ही भारत वर्ष 2003 से 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के कुल निवेश के साथ श्रीलंका के शीर्ष चार निवेशकों में शामिल है।
भारतीय निवेशकों द्वारा श्रीलंका के विभिन्न क्षेत्रों जैसे- पेट्रोलियम, आईटी (IT), वित्तीय सेवाएँ, रियल एस्टेट, दूरसंचार, पर्यटन, बैंकिंग, धातु उद्योग और बुनियादी ढाँचा विकास (रेलवे) आदि में निवेश किया जाता रहा है।
- श्रीलंका के पर्यटन उद्योग में भारतीय पर्यटकों का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है, एक अध्ययन के मुताबिक श्रीलंका का हर पाँच में से एक पर्यटक भारतीय है।
सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध
- 29 नवंबर, 1977 को हस्ताक्षरित सांस्कृतिक सहयोग समझौता दोनों देशों के बीच समय-समय पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों के आधार के रूप में कार्य करता है।
- कोलंबो में स्थित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र सक्रिय रूप से भारतीय संगीत, नृत्य, हिंदी और योग की कक्षाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति के बारे में जागरूकता बढ़ाता है।
- कुछ ही समय पूर्व भारत और श्रीलंका ने संयुक्त गतिविधियों के माध्यम से भगवान बुद्ध द्वारा आत्मज्ञान की प्राप्ति की 2600वीं जयंती मनाई थी। इसके अलावा दोनों देशों की सरकारों ने वर्ष 2014 में बौद्ध भिक्षु अनागारिक धर्मपाल की 150वीं जयंती भी मनाई थी
- दिसंबर 1998 में एक अंतर-सरकारी पहल के रूप में भारत-श्रीलंका फाउंडेशन की स्थापना की गई थी जिसका उद्देश्य दोनों देशों के नागरिकों के मध्य वैज्ञानिक, तकनीकी, शैक्षिक और सांस्कृतिक सहयोग तथा दोनों देशों की युवा पीढ़ी के बीच संपर्क को बढ़ाना है।
रक्षा संबंध
- भारत और श्रीलंका के मध्य रक्षा सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है। हाल के कुछ वर्षों में दोनों देशों ने अपने सैन्य संबंधों को मज़बूती प्रदान करने के काफी प्रयास किये हैं।
- गौरतलब है कि दोनों देशों के मध्य संयुक्त सैन्य (मित्र शक्ति) और नौसेना अभ्यास (SLINEX) भी आयोजित किये जाते हैं।
- भारत द्वारा श्रीलंका की सेना को रक्षा प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।
- अप्रैल 2019 में भारत और श्रीलंका ने ड्रग एवं मानव तस्करी का मुकाबला करने पर भी एक समझौता किया था।
संबंधों में मतभेद
- भारत और श्रीलंका के संबंधों में मतभेद की शुरुआत श्रीलंका के गृहयुद्ध के समय से ही हो गई थी। जहाँ एक ओर श्रीलंकाई तमिलों को लगता है कि भारत ने उन्हें धोखा दिया है, वहीं सिंहली बौद्धों को भारत से खतरा महसूस होता है।
- विदित है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के भाई और श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे वर्ष 2015 में राष्ट्रपति चुनाव हार गए थे, हार के बाद राजपक्षे शासन के कई समर्थकों ने उनकी अप्रत्याशित और आश्चर्यजनक हार के लिये भारत को ज़िम्मेदार ठहराया था।
- इसके अलावा राजपक्षे शासन का चीन की ओर आकर्षण भी भारत के लिये चिंता का विषय है। अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी गोतबाया राजपक्षे ने यह बात खुलकर कही थी कि यदि वे सत्ता में आते हैं तो चीन के साथ रिश्तों को मज़बूत करने पर अधिक ज़ोर दिया जाएगा।
- यह भी सत्य है कि श्रीलंका में चीनी प्रभाव का उदय महिंदा राजपक्षे की अध्यक्षता के समानांतर ही हुआ था। राजपक्षे के कार्यकाल में ही श्रीलंका ने चीन के साथ अरबों डॉलर के आधारिक संरचना संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे।
भारत के लिये श्रीलंका का महत्त्व
- भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिणी सिरे पर स्थित श्रीलंका भारत के लिये रणनीतिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण है। यह द्वीप यूरोप से लेकर पूर्वी एशिया तक सभी प्रमुख समुद्री संचार गलियारों तथा बड़े तेल निर्यातक एवं तेल आयातक देशों के बीच स्थित है जो इसे भू-राजनैतिक दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण बना देता है।
- भारत सदैव ही श्रीलंका का एक मुख्य आर्थिक भागीदार रहा है और दोनों देश काफी सुदृढ़ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध साझा करते हैं।
निष्कर्ष
गोतबाया ने बार-बार यह पुष्टि की है कि श्रीलंका प्रमुख शक्तियों के मध्य प्रतिद्वंद्विता में फँसना नहीं चाहता और इसीलिये वह तटस्थता की नीति का पालन करेगा। श्रीलंका का यह बड़ा राजनीतिक परिवर्तन भारत के लिये श्रीलंका के साथ अपने संबंध सुधारने हेतु एक अच्छा अवसर साबित हो सकता है। आवश्यक है कि दोनों देशों के प्रतिनिधि द्विपक्षीय वार्ताओं के माध्यम से सभी मतभेदों को सुलझाने का प्रयास करें ताकि इस अवसर का लाभ उठाया जा सके।