UNIT 6
संयुक्त राष्ट्र संघ
6.1. संयुक्त राष्ट्र संघ
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन हैं जिसका उद्देश्य हैं अंतरराष्ट्रीय क़ानून को सुविधाजनक बनाने में सहयोग करना, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार और विश्व शांति के लिए कार्यरत है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकार पत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई। आज विश्व के हर देश एक-दूसरे पर अधिकार जमाने के लिए खड़े रहते हैं। कई देशों में आंतरिक कलह इतना अधिक हो चुका है कि वहां मानवीय मूल्यों की आहुति दी जा रही है। कई देशों में तानाशाहों का आतंक है तो आतंकवादी आए दिन लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। इन सबको नियंत्रण में करने के लिए हर देश अपने स्तर पर तो काम करते ही हैं साथ ही इन सबके ऊपर नजर रहती हैं दुनिया के सबसे बड़ी संघ की। संयुक्त राष्ट्र संघ के नाम से मशहूर यह अंतरराष्ट्रीय संस्थान जाति, धर्म और देश से ऊपर उठकर पूरे संसार के कल्याण के लिए काम करता है।
स्थापना
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1929 में राष्ट्र संघ का गठन किया गया था। राष्ट्र संघ काफ़ी हद तक प्रभावहीन था और संयुक्त राष्ट्र का उसकी जगह होने का यह बहुत बड़ा फायदा है कि संयुक्त राष्ट्र अपने सदस्य देशों की सेनाओं को शांति के लिए तैनात कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र संघ से पूर्व, पहले विश्व युद्ध के बाद राष्ट्र संघ (लीग ऑफ़ नेशंस) की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य किसी संभावित दूसरे विश्व युद्द को रोकना था, लेकिन राष्ट्र संघ 1930 के दशक में दुनिया के युद्ध की तरफ़ बढ़ाव को रोकने में विफल रहा और 1946 में इसे भंग कर दिया गया। राष्ट्र संघ के ढांचे और उद्देश्यों को 'संयुक्त राष्ट्र संघ' ने अपनाया। 1944 में अमरीका, ब्रिटेन, रूस और चीन ने वाशिंगटन में बैठक की और एक विश्व संस्था बनाने की रूपरेखा पर सहमत हो गए। इस रूपरेखा को आधार बना कर 1945 में 50 देशों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई। फिर 24 अक्टूबर, 1945 को घोषणा-पत्र की शर्तों के अनुसार 'संयुक्त राष्ट्र संघ' की स्थापना हुई। संयुक्त राष्ट्र संघ में 193 सदस्य हैं। राष्ट्रों के स्वतंत्र होने के साथ ही पूर्व सोवियत संघ के विघटन के बाद इसके सदस्यों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई। संयुक्त राष्ट्र संघ को चलाने के लिए सदस्य देश योगदान करते हैं। किसी देश की क्षमता के आधार पर योगदान तय किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में अमरीका का योगदान सबसे अधिक है। संयुक्त राष्ट्र की कई स्वतंत्र संस्थाएं भी हैं जो हर मुद्दे को अलग अलग स्तर पर सुलझाती हैं- जैसे खाद्य एवं कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ, विश्व बैंक, यूनेस्को, विश्व स्वास्थ्य संगठन, आदि।
संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य-
- विश्व में युद्ध रोकना
- मानव अधिकारों की रक्षा करना
- अंतरराष्ट्रीय कानून को निभाने की प्रक्रिया जुटाना
- सामाजिक और आर्थिक विकास उभारना
- जीवन स्तर सुधारना और बीमारियों से लड़ना है।
इस संगठन ने दुनिया भर में कई अहम मौकों पर मानव जीवन की सेवा कर एक आदर्श प्रस्तुत किया है। वर्तमान विश्व में कई देश हैं जो दूसरे देशों पर प्रभुत्व जताने और उन्हें हड़पने को तैयार रहते हैं पर संयुक्त राष्ट्र की कड़ी नजर की वजह से वह कुछ भी नहीं कर पाते। चाहे विश्व में शिक्षा को बढ़ावा देना हो या फिर एड्स जैसी बीमारी के प्रति जागरुकता फैलानी हो या तकनीक को आगे बढ़ाना हो यह हमेशा आगे रहता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट अभिकरण
- खाद्य और कृषि संगठन
- अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन
- विश्व स्वास्थ्य संगठन
- शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति संबंधी संगठन -यूनेस्को
- पुनर्निर्माण और विकास के लिए अन्तराष्ट्रीय बैंक-विश्व बैंक
- अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष
- अन्तराष्ट्रीय वित्त निगम
- अन्तराष्ट्रीय दूरसंचार संघ
- अन्तराष्ट्रीय दूरसंचार उड्डयन संगठन
- विश्व मौसम विज्ञान संघ
- अन्तराष्ट्रीय बाल संकट कोष
- अन्तराष्ट्रीय समुद्र-परामर्श संगठन
- अन्तराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण
- विश्व डाक संघ
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी-उच्चायुक्त
संयुक्त राष्ट्र के दो प्रमुख कार्य हैं:
(i) राष्ट्रों के बीच विवादों को हल करके और उनके बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को विकसित करके अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना;
(ii) अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मानवीय समस्याओं को हल करने के लिए दुनिया भर में सहयोग और समझ को बढ़ावा देना।
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र अपने महासभा, सुरक्षा परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और सचिवालय के माध्यम से कार्य करता है। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मानवीय समस्याओं को हल करने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विकसित करने के लिए कई विशिष्ट एजेंसियों की स्थापना की गई है। वे संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद की देखरेख में काम करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य संगठन इस प्रकार से हैं:-
- महासभा
- सुरक्षा परिषद
- आर्थिक और सामाजिक परिषद
- संयुक्त राष्ट्र सचिवालय
- अन्तराष्ट्रीय न्यायालय
- संयुक्त राष्ट्र न्यास परिषद् (वर्तमान समय में निष्क्रिय है )
- संयुक्त राष्ट्र महासभा
महासभा संयुक्त राष्ट्र का सबसे अहम हिस्सा है। महासभा किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख मंच है। संयुक्त राष्ट्र संघ में यह एक अकेली संस्था है जिसमें सभी देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। प्रत्येक सदस्य का एक वोट होता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट तक किसी भी मुद्दे पर विचार विमर्श कर सकते हैं। महासभा विचार-विमर्श के बाद अपनी सिफ़ारिशें जारी कर सकती है लेकिन वो किसी देश को इन सिफ़ारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। महासभा, सदस्य देशों के बीच बड़ी चिंताओं को घोषणा के रूप अपना सकती है।
2. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
सुरक्षा परिषद को विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। अमरीका, रूस, चीन, फ़्रांस और ब्रिटेन इसके पांच स्थाई सदस्य है। सुरक्षा परिषद के पांचों स्थाई सदस्यों के पास कई अहम अधिकार होते हैं इसलिए इसको लेकर कई बार विवाद पैदा होते हैं। 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के वक्त उसके सदस्यों की संख्या 50 थी, जो आज बढ़कर 193 हो गई है। इन 65 सालों के दौरान दुनिया भी हर लिहाज से बदल गई है, लेकिन सुरक्षा परिषद में दुनिया के राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व जस का तस बना हुआ है।
3. आर्थिक और सामाजिक परिषद
यह वैश्विक स्तर पर आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के लिए एक प्रमुख(अंग ) निकाय है। यह विभिन्न संस्थाओं व राष्ट्रों के बीच, आर्थिक एवं सामाजिक सम्बन्धी सहयोग के लिए उत्तरदायी है।इसके 54 सदस्य राष्ट्र हैं, जो महासभा द्वारा 3 वर्ष के लिए चयन किये जाते हैं।
4. संयुक्त राष्ट्र सचिवालय
यह संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख प्रशासनिक अंग है। इसका नेतृत्व महासचिव द्वारा होता है (महासचिव को दुनिया भर के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है)| महासचिव की नियुक्ति महासभा द्वारा सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर की जाती है।
कार्य - सम्मेलनों का आयोजन, शांति प्रक्रिया का सञ्चालन, सर्वेक्षण तथा शोध का सञ्चालन आदि। यह संयुक्त राष्ट्रसंघ के अंगों को आवश्यक -अवलोकन, सूचनाये तथा सुविधएं उपलब्ध करता है।
5. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
यह संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्य न्यायिक अंग है। इसकी स्थापना 1945 में हुई। इसका मुख्यालय - हेग (नीदरलैंड) में स्थित है। महासभा द्वारा 15 न्यायधीशों की नियुक्ति 9 वर्ष की अवधि के लिए की जाती है। यह देशों के बीच के क़ानूनी विवादों को निपटाता है। यह क़ानूनी मुद्दों पर सलाहकारी राय भी प्रदान करता है।
6. संयुक्त राष्ट्र न्यास परिषद् (वर्तमान समय में निष्क्रिय है )
इसका निर्माण न्यास प्रदेशों (trust territories) की देखरेख के लिए किया गया। इसकी स्थापना 1945 में ,औपनिवेशिक अधीन क्षेत्रों के प्रबंधन के लिए तथा स्वतंत्रता व स्वशासन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए की गयी। यह 1994 (आखिरी राज्य-क्षेत्र की स्वतंत्रता तक ) के बाद से निष्क्रिय है।
संयुक्त राष्ट्र के विशिष्ट संस्थाएं
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO):
यदि संयुक्त राष्ट्र की कोई ऐसी संस्था है जिसकी कार्यप्रणाली पर सबको यकीन है और जिसने सबसे अच्छा काम किया है तो वह यूनेस्को ही है। इस संस्था का उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान संस्कृति और संचार के माध्यम से शांति और विकास का प्रसार करना है। यूनेस्को 1946 में पेरिस में अपने मुख्यालय के साथ बनाया गया था। यह सार्वभौमिक शिक्षा के प्रसार को प्रोत्साहित करता है। यह मानता है कि शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति में सहयोग के माध्यम से विभिन्न राष्ट्रों के बीच बेहतर समझ हासिल की जा सकती है|
II. संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बच्चों का कोष (यूनिसेफ):
यूनिसेफ का मुख्यालय न्यूयॉर्क में है। संगठन की स्थापना 1946 में दूसरे विश्व युद्ध से तबाह हुए देशों में बच्चों और उनकी माताओं को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। यूनिसेफ यूनिसेफ बाल स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के मुद्दों पर गौर करता है। यह रोग से लड़ने के लिए चिकित्सा सहायता और दवाएं प्रदान करता है, विशेष रूप से दुनिया के अविकसित देशों में। यह चाइल्ड केयर केंद्रों के संचालन में भी सहायता करता है साथ ही यह बाल श्रम की समस्या को भी हल करने की कोशिश करता है। इसके फंड का एक बड़ा हिस्सा ग्रीटिंग कार्ड की बिक्री के माध्यम से आता है।
III. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO):
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद 1918 में ILO की स्थापना की गई थी। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है। इसे बाद में संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी में बदल दिया गया, जिसे दुनिया भर में श्रम की स्थितियों में सुधार करने का काम सौंपा गया। ILO सदस्य देशों को व्यावसायिक प्रशिक्षण और छोटे स्तर के हस्तशिल्प में मदद करता है। यह काम की परिस्थितियों और श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार करने का प्रयास करता है। यह बुनियादी मानवाधिकार बाल श्रम और सामाजिक कल्याण के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को निर्धारित करता है। यह महिलाओं और बच्चों की समस्याओं पर विशेष ध्यान देता है।
IV. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO):
WHO की स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को हुई थी, जिसे विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। WHO का मुख्यालय जिनेवा में है| डब्ल्यूएचओ के मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में स्वास्थ्य के मानक में सुधार करना है। यह मानता है कि अच्छा स्वास्थ्य प्रत्येक मनुष्य का एक मौलिक अधिकार है। डब्ल्यूएचओ देशों को अपने स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है। यह चिकित्सा देखभाल के लिए महत्वपूर्ण दवाएं और अन्य आपूर्ति देकर उनकी मदद करता है। यह प्रमुख संक्रामक रोगों के खिलाफ टीकाकरण के लिए भी कार्यक्रम करता है।
V. खाद्य और कृषि संगठन (FAO):
एफएओ की स्थापना 1945 में रोम में अपने मुख्यालय के साथ हुई थी। FAO मुख्य रूप से कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन के विकास के लिए कार्यक्रम करता है। इसका उद्देश्य भूख को खत्म करना है। इसने 'फूड फॉर ऑल' नामक एक कार्यक्रम विकसित किया है।
VI. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP):
UNDP का गठन 1950 में पेरिस में अपने मुख्यालय के साथ हुआ था। यूएनडीपी द्वारा शुरू की गई परियोजनाएं विकासशील देशों को उनके प्राकृतिक और मानव संसाधनों का बेहतर उपयोग करने, उत्पादकता का विस्तार करने और लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने में मदद करने के उद्देश्य से हैं। यह विश्वविद्यालय स्तर पर शैक्षिक प्रणालियों को मजबूत करने और विस्तारित करने का प्रयास करता है और नई खोजों के लिए अनुसंधान विधियों का समर्थन करता है।
यूएनडीपी गरीब देशों में स्व-सहायता गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए ऋण और अनुदान भी प्रदान करता है। यह उन एजेंसियों में से एक है जो एचआईवी और एड्स पर वैश्विक कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए काम करते हैं। इन एजेंसियों के माध्यम से भारत को बहुत लाभ हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित अन्य संस्थाएँ
- अन्तराष्ट्रीय विकास संघ
- संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संस्था
- व्यापार तथा विकास हेतू संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन
- व्यापार तथा सीमा शुल्क पर सामान्य समझौता
- अन्तराष्ट्रीय कृषि विकास कोष
- विश्व बौद्धिक संपत्ति संस्था
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम
- अन्तराष्ट्रीय दूरसंचार उपग्रह संघ
- संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या गतिविधियों से सम्बद्ध कोष
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी विशेष एजेंसियों के साथ मिलकर विश्व के देशों की सद्भाव और सुरक्षा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन आदि जैसे संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियों ने विकसित और विकासशील देशों के विकास और विकास में उल्लेखनीय कार्य किया है। संयुक्त राष्ट्र और उसके सदस्य वर्तमान समय की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार प्रभावी कदम उठा रहे हैं। यह एक ऐसा मंच है जो सदस्यों को एक सामान्य समझ में आने के लिए चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73 वें सत्र में UNGA की अध्यक्ष, मारिया फर्नांडा एस्पिनोसा गार्स ने दुनिया में समकालीन समय में आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों को रोकने के लिए मानवीय सहायता और धन की आवश्यकता पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के पास शांति और सुरक्षा के निर्माण और रखरखाव के लिए बहुपक्षीय दृष्टिकोण आवश्यक है और संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष के रूप में वह इन महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने में संयुक्त राष्ट्र के दृष्टिकोण को मजबूत करने का इरादा रखता है। इस संदर्भ में, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र द्वारा निभाई गई भूमिका के साथ आने वाली जबरदस्त चुनौतियों पर भी चर्चा की।
संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा संपादित कुछ महत्वपूर्ण कार्य हैं:-
- 73 देशों के 90 मिलियन लोगों को संयुक्त राष्ट्र भोजन (खाद्य पदार्थ) मुहैया कराता है।
- संयुक्त राष्ट्र 100 से ज्यादा देशों में जलवायु परिवर्तन व ऊर्जा बचत के लिए कार्यक्रम चला रहा है।
- 36 मिलियन शरणार्थियों को सहायता उपलब्ध करा रहा है।
- विश्व के 58 प्रतिशत भाग में टीकाकरण कार्यक्रम चला रहा है, जिससे प्रतिवर्ष 2.5 मिलियन बच्चों की जान बचाई जा रही है।
- 1,20,000 शांतिदूतों और 16 ऑपरेशन के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र 4 महाद्वीपों में शांति कायम रखने के लिए कार्यक्रम चला रहा है।
- पिछले 30 सालों में 370 मिलियन ग्रामीण ग़रीबों की स्थिति को संयुक्त राष्ट्र ने बेहतर बनाया है।
- प्रतिवर्ष 30 मिलियन गर्भवती महिलाओं की जान बचाने का कार्य करता है।
- संयुक्त राष्ट्र ने 80 से ज्यादा देशों को स्वतंत्र कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
जब भी हम संयुक्त राष्ट्र की विफलताओं के बारे में सोचते हैं कि आखिर क्यूं एक संस्था जो सभी देशों और सभी सरकारों से ऊंची है वह विफल हो जाती है। कहीं इसका कारण अमेरिका तो नहीं? अगर किसी का संयुक्त राष्ट्र पर सबसे अधिक असर है तो वह है अमेरिका। इराक और अफ़ग़ानिस्तान में जो कुछ हुआ क्या उसे संयुक्त राष्ट्र देख नहीं पाया। आखिर क्यूं कांगो और लीबिया जैसे देशों में नरसंहार होने दिया गया। आज इराक, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान मात्र क़ब्रिस्तान बनकर रह गए हैं जहां लोग अपने घरों से निकलने में भी डरते हैं। आखिर क्यूं बंद हैं इस संस्था की आंखें। अफ़ग़ानिस्तान को तो खंडहर बना दिया गया है और ईरान में आज भी आम जनता सामान्य जीवन नहीं जी पा रही है। अमेरिका का इस संस्था पर साफ दबाव देखा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि इस संस्था के साथ सिर्फ विफलताएं ही जुड़ी हैं बल्कि कई बार साथी देशों की जासूसी और उच्च अधिकारियों पर यौन शोषण जैसे आरोप भी लगे हैं। विफलताओं के बाद अगर सफलताओं पर नजर डालें तो पता चलता है कि संयुक्त राष्ट्र ने कई क्षेत्रों में अच्छा काम भी किया है। यूनेस्को, यूनिसेफ़ जैसे संगठनों ने आम आदमी के जीवन को आसान बनाने में खास योगदान दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुछ ऐसे विषयों पर सरकारों और जनता का ध्यान आकर्षित किया है, जो इसके अभाव में अछूते व उपेक्षित ही रह जाते।
भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र का व्यवहार हमेशा सामान्य ही रहा। हालांकि कुछ मौकों पर भारत को इस संस्था से निराशा हाथ लगी। वर्ष 1948 में जम्मू-कश्मीर समस्या, वर्ष 1971 का पूर्वी पाकिस्तान का संकट और वर्तमान आतंकवाद के मुद्दे पर जिस तरह से संयुक्त राष्ट्र ने भारत के साथ व्यवहार किया उससे आम जनता का इस पर से थोड़ा भरोसा कम हुआ है।
भारत ब्रिटिश शासन के तहत अपनी स्वतंत्रता से दो साल पहले 1945 में संयुक्त राष्ट्र में शामिल हुआ था और मानव अधिकारों पर सार्वभौमिक घोषणा तैयार करने और लागू करने में भी सक्रिय भाग लिया था। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य हैं अर्थात् संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, चीन, फ्रांस और रूस।
अतीत में, चीन को छोड़कर इन पांच स्थायी सदस्यों में से चार देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत का समर्थन किया है। जुलाई 2011 के आसपास चीन ने यूएनएससी का सदस्य बनकर भारत को अपना समर्थन प्रदान किया, बशर्ते भारत ’जापान के साथ अपने सम्बन्धों को दर्ज़ न करे’।
भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडर ने कहा कि भारत की आबादी 1.4 बिलियन है और अभी भी यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है। इससे संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की विश्वसनीयता को चोट पहुंचती है। भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनना चाहिए। फ्रांस ने भी इसी तरह का विचार व्यक्त किया, संयुक्त राष्ट्र में फ्रांसीसी दूत ने कहा कि "भारत को समकालीन वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में पूरी तरह से आवश्यक है।"
भारत भी अपनी ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की दावेदारी कर रहा है पर उसे अभी तक यह दर्जा हासिल नहीं हुआ है।