स्नातक, द्वितीय वर्ष
सामान्य हिन्दी (हिन्दी रचना)- 50 अंक
संक्षेपण
सन् 2012 में पूछा गया प्रश्न-
निम्नलिखित अवतरण का संक्षेपण कीजिए -
धर्म संबंधी हमारी धारणा में यह कहा गया है कि धर्म से ही प्रजा का धारण होता है – धर्मो रक्षति रक्षितः – आप धर्म की रक्षा करो धर्म आपकी रक्षा करेगा। उसका असली तात्पर्य यही है कि हम पर्यावरण के इन विभिन्न स्तरों को परिशुद्ध बनाये रखें और उसमें आपस में एक सामंजस्य बना रहे। पर्यावरण के स्तरों में जब सामंजस्य टूटता है या विषमता पैदा होती है तो उसका सीधा प्रभाव मनुष्य पर पड़ता है। हमारी शास्त्रीय परंपरा इस विषमता का कारण मनुष्य को ही मानती है। मनुष्य ही अपनी सद् और असद् इच्छाओं के द्वारा, सद् और असद् विचारों के द्वारा पर्यावरण को दूषित करता है और सामूहिक रूप से उसके विषम परिणामों को भोगता है। (अवतरण में शब्दों की संख्या 100 है, अतः संक्षेपण में शब्दों की संख्या 33 के आसपास होनी चाहिए)
शीर्षक : पर्यावरण संरक्षण
(आप इसे ‘पर्यावरण की रक्षा’ भी लिख सकते हैं, परंतु यह शीर्षक लंबा हो जाएगा)
पर्यावरण के अशुद्ध होने का सीधा प्रभाव मनुष्य पर पड़ता है। इस कारण हमें पर्यावरण की शुद्धता बचानी होगी। मनुष्य अपनी गतिविधियों से पर्यावरण को अशुद्ध कर रहा है। जिसका दुष्परिणाम समस्त मानव जाति भोग रही है। (शब्द संख्या – 31)
सन् 2011 में पूछा गया प्रश्न-
निम्नलिखित अवतरण का संक्षेपण कीजिए -
आज चारों ओर ह्रास दिखाई पड़ रहा है। चरित्र में भी ह्रास होता जा रहा है। किंतु अगर हमलोग मिलकर सोचें और इस दिशा में मन-प्राण में लग जाएँ तो चरित्र की निरंतर नीचे लुढ़कती जा रही गाड़ी के हम स्वयं कुशल चालक बन जा सकते हैं और चरित्र रूपी यान को लुढ़कने से बचाकर उसी सही दिशा में अग्रसर कर दे सकते हैं। किंतु इसके लिए पहले हमें चरित्रवान बनना होगा और मौन व्रतधारी की तरह इस दिशा में आगे बढ़ना होगा, दीपक की तरह तिल-तिल करके अपने प्राणों की आहुति देनी होगी। (अवतरण में शब्दों की संख्या- 86)
शीर्षक: चरित्र का महत्त्व
वर्तमान समय में चरित्र की रक्षा करना एक कठिन कार्य है। अपने चरित्र के ह्रास को हम स्वयं रोक सकते हैं। इसके लिए हमें सही दिशा में अग्रसर होना होगा और त्यागी बनना पड़ेगा।
(शब्द संख्या – 28)
पल्लवन
पल्लवन के लिए अब तक पूछे गए प्रश्न –
- का वर्षा जब कृषि सुखानी। (2019)
(यह एक लोकोक्ति है, जिसका अर्थ है कि समय बीत जाने के बाद मेहनत करने का कोई लाभ नहीं होता है। यानी सही समय पर ही परिश्रम करना चाहिए तभी व्यक्ति को लाभ होता है। बाद में मनुष्य सिर्फ पछतावा ही कर सकता है कि उसने सही समय पर सही काम क्यों नहीं किया। अतः मनुष्य को अवसर पहचान कर उसके अनुसार काम करना चाहिए। तभी मनुष्य को जीवन में सफलता मिलती है। सही समय पर सही काम न करने वालों के लिए ही कहा गया है – का वर्षा जब कृषि सुखानी। उदाहरण के लिए परीक्षा से कुछ घंटे पहले पढ़ने से विद्यार्थी उत्तीर्ण नहीं हो पाता है। वही विद्यार्थी परीक्षा में अच्छे अंक लाते हैं, जिन्होंने सालभर परिश्रम किया है। परीक्षा की तिथि से कुछ दिन पहले पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए यही कहा जा सकता है कि का वर्षा जब कृषि सुखानी। )
2. आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है। (2018)
3. भारत की एकता उसकी विविधता में छिपी हुई है। (2017)
4. विदेशी भाषा का विद्यार्थी होना बुरा नहीं, पर अपनी भाषा सर्वोपरि है। (2016)
5. गहने की स्त्री की संपत्ति होते हैं। पति की और किसी संपत्ति पर उसका अधिकार हो या न हो। (2015)
6. बिना पसीने की कमाई के जीवन की क्यारी में हरियाली तो आने से रही। (2014)
7. होनहार विरवान के होत चिकने पात। (2013)
( इस लोकोक्ति का अर्थ यह है कि कुशाग्र और अच्छे लोगों के गुण बचपन से दिखाई देने लगते हैं।)
8. नेकी कर दरिया में डाल। (2013)
(इस लोकोक्ति का अर्थ है कि किसी की भलाई करके उसे भूल जाना चाहिए। व्यक्ति के भीतर किसी की भलाई करने का घमंड नहीं होना चाहिए। किसी का भला करने के बाद उस काम के लिए घमंड करने से उस व्यक्ति द्वारा किए गए कार्य का महत्त्व कम हो जाता है। इसके साथ ही साथ अगर आप किसी की भलाई करने करते हैं तो बदले में उससे भलाई की इच्छा भी नहीं रखनी चाहिए। आपने जिस भी व्यक्ति की मदद की है अगर वह बदले में आपकी मदद न भी करे तो भी आपको उस व्यक्ति के प्रति कटुता नहीं रखनी चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि भलाई करना हमारा स्वभाव है। मैंने किसी लोभवश किसी की भलाई नहीं की है।)
9. जैसी संगति बैठिए तैसई फल होत। (2011)
(इस लोकोक्ति का अर्थ है कि हमारी संगति जैसी होती है, हम वैसे ही बनते हैं। अगर हम सज्जन पुरुषों के साथ रहते हैं तो हमारे भीतर भी अच्छाई का भाव आता है। इसी तरह बुरे लोगों के साथ रहने पर हम भी बुरे बन सकते हैं। उदाहरण के लिए हमने ऐसी कई कहानियाँ पढ़ी हैं जिसमें सत्संग में चोरी के इरादे से जाने वाला चोर बदल जाता है। इसी तरह कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं जिसमें कुसंगति में पड़कर अच्छा-भला इंसान भी बिगड़ गया।)
10. दैव-दैव आलसी पुकारा। (2011)
(इस लोकोक्ति का अर्थ है कि भाग्य के भरोसे सिर्फ आलसी ही बैठे रहते हैं। परिश्रमी व्यक्ति अपने खराब भाग्य को भी बदल देता है और आलसी व्यक्ति अपने अच्छे भाग्य एवं परिस्थिति को भी खराब कर देता है।)
नोट- अभी तक पूछे गए प्रश्नों में महान व्यक्तियों की सूक्तियों या प्रसिद्ध वाक्यों के साथ-साथ पल्लवन के लिए लोकोक्तियाँ भी दी गई हैं। अतः विद्यार्थियों के लिए प्रसिद्ध लोकोक्तियों एवं मुहावरों के अर्थ को जानना जरूरी है। इसके लिए वे किसी व्याकरण की पुस्तक का सहारा ले सकते हैं।
वाक्य-संशोधन
पिछले वर्षों में वाक्य-संशोधन से संबंधित पूछे गए प्रश्नों के उत्तर-
(कोष्ठक में शुद्ध वाक्य दिया गया है और जहाँ अशुद्धि है उसे रेखांकित कर दिया गया है।)
- ईश्वर के अनेकों नाम हैं। ( ईश्वर के अनेक नाम हैं।)
- अनेक स्वयं बहुवचन है।
Ii. साहित्य और जीवन का घोर संबंध है। (साहित्य और जीवन का अभिन्न संबंध है।)
Iii. वर्तमान आतंकवाद विश्व की सर्वप्रमुख समस्या है। (वर्तमान आतंकवाद विश्व की सबसे बड़ी समस्या है।)
Iv. यह कहना आपकी भूल है। (ऐसा कहना आपकी भूल है।)
v. थोड़ी देर बाद वह वापस लौट आया। (थोड़ी देर बाद वह लौट आया। / थोड़ी देर बाद वह वापस आया।)
- इस वाक्य में वापस एवं लौट शब्द का प्रयोग एक साथ नहीं होगा। दोनों में से कोई एक ही शब्द प्रयुक्त होगा।
Vi. मुझसे यह काम संभव नहीं हो सकता। (मुझसे यह काम संभव नहीं।)
Vii. वहाँ भारी-भरकम भीड़ जमा थी। (वहाँ भारी भीड़ थी।)
Viii. भिखारी ठाकुर के नाट्य दृश्यों का प्रयोग होना चाहिए। (भिखारी ठाकुर के नाट्य दृश्यों का प्रयोग करना चाहिए।)
Ix. उसका प्राण निकल गया। (उसके प्राण निकल गये।)
x. रमेश सकुशलपूर्वक घर लौट गया। (रमेश सकुशल घर लौट गया।)
Xi. अनाधिकार चेष्टा नहीं करना चाहिए। (अनाधिकार चेष्टा नहीं करनी चाहिए।)
Xii. उसने एक प्याली चाय पीया। (उसने एक प्याली चाय पी।)
Xiii. भारत के अनेकों नाम हैं। (भारत के अनेक नाम हैं।)
Xiv. अच्छी तरह पढ़ने के बावजूद भी रमेश परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया। (अच्छी तरह पढ़ने के बावजूद रमेश परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया।)
- बावजूद के साथ भी का प्रयोग नहीं होता है।
Xv. मैं आपका दर्शन करने आया हूँ। (मैं आपके दर्शन करने आया हूँ।)
Xvi. मैं शुद्ध गाय का दूध पीता हूँ। (मैं गाय का शुद्ध दूध पीता हूँ।)
Xvii. तब शायद यह काम जरूर हो जायेगा। (तब यह काम जरूर हो जायेगा।)
– शायद और जरूर का प्रयोग एक साथ नहीं होता है।
Xviii. लड़का मिठाई लेकर भागता हुआ घर आया। (लड़का मिठाई लेकर दौड़ता हुआ घर आया।)
Xix. नाव थरथरा रही थी। (नाव थरथरा रहा था।)
Xx. सीता ने झूठ कही थी। (सीता ने झूठ कहा था।)
Xxi. यह ताजी खबर है। (यह ताजा खबर है।)
शब्द-युग्मों में अंतर
पिछले वर्षों में शब्द-युग्मों में अंतर से संबंधित पूछे गए प्रश्नों के उत्तर-
- क्षत्र - क्षत्रिय ,
छत्र- छाता
2. द्रव – तरल,
द्रव्य – पदार्थ, धन
3. नगर – शहर
नागर – शहरी यानी शहर में रहने वाला आदमी, चतुर
4. इत्र – सुगंधित पदार्थ
इतर – अन्य
5. किला – गढ़
कीला – गाड़ा या बाँधा
6. चिर – पुराना, लंबा
चीर – कपड़ा
7. तरंग – लहर
तुरंग – घोड़ा
8. कर्म – कार्य
क्रम – सिलसिला
9. दार – स्त्री
द्वार – दरवाजा
10. अलि – भौंरा
आली – सखी
11. कुल – वंश/सब
कूल – किनारा
12. प्रसाद – कृपा, भोग
प्रासाद – महल
13. वात – हवा
बात – वचन
14. लक्ष – लाख
लक्ष्य – निशाना, उद्देश्य
15. दिन – दिवस
दीन – गरीब
16. पथ – रास्ता, मार्ग
पथ्य – आहार
17. संदेह – शक, अविश्वास
सदेह – देह सहित
18. रब – ईश्वर, मालिक
रव – आवाज, ध्वनि
19. निर्धन – गरीब
निधन – मृत्यु
20. पावन – पवित्र
पवन – हवा, वायु
21. अलि – भौंरा
अली – सखी
22. अंस – कंधा
अंश – हिस्सा
23. अपेक्षा – उम्मीद, आशा
उपेक्षा – निरादर
24. पास – नजदीक, निकट
पाश – बंधन
25. अजर – जो बूढ़ा न हो
अजिर – आँगन
26. अनिल – हवा
अनल – आग
27. अभिराम – सुंदर
अविराम – लगातार
28. जलज – कमल
जलद – बादल
29. तरिणि – सूर्य
तरणी – नाव, नौका
तरणि – सूर्य
तरुणी - युवती
30. कृत्य – काम
कृत – किया हुआ